लोकसभा चुनाव 2019 के लिए मार्च के पहले हफ्ते में बिगुल बजने की संभावना है. कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव आयोग इसी दौरान देशभर में लोकसभा चुनाव कराने को लेकर तारीखों का ऐलान कर सकता है. लेकिन, उसके ठीक एक महीने पहले बजट सत्र के माध्यम से सरकार जनता को अपनी सरकार की पांच साल की उपलब्धियों के बारे में बताना भी चाहती है और आने वाले दिनों में फिर से उनके मन में उम्मीद की एक नई किरण भी जगाना चाहती है. 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चलने वाले बजट सत्र के दौरान 1 फरवरी को सत्र के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अपना आखिरी बजट पेश करने वाली है. लेकिन, इस बार का बजट अंतरिम बजट होगा. अंतरिम बजट का मतलब होता है कि सरकार वोट ऑन एकाउंट यानी लेखानुदान पेश कर उसे संसद में पास कराएगी, जिससे चुनावी साल में नई सरकार बनने और कार्यभार संभालने तक के वक्त में प्रशासनिक और बाकी दूसरे खर्चों के लिए बजट पास करा लिया जाए. हालांकि इस बात की पूरी संभावना जताई जा रही है, जिसमें सरकार की तरफ से अंतरिम बजट में ही आने वाले दिनों के लिए कई नई और बड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं. सूत्रों के मुताबिक, सरकार मिडिल क्लास को टैक्स से बड़ी राहत देकर उन्हें लुभाने की कोशिश कर सकती है. दूसरी तरफ, किसानों के लिए भी राहत पैकेज या फिर यूनिवर्सल इनकम जैसी कोई बड़ी घोषणा कर सकती है. अंतरिम बजट में सरकार की तरफ से गरीबों के कल्याण के लिए भी कुछ वादे किए जा सकते हैं. सरकार की कोशिश हो सकती है जिसमें मिडिल क्लास, गरीब तबका और किसान समेत समाज के हर वर्ग को चुनाव से ठीक पहले खुश किया जाए. हालांकि, बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन के दौरान भी सरकार की उपलब्धियों का ही बखान किया गया. पांच साल में केंद्र सरकार की तरफ से हर क्षेत्र में किए गए काम और उसको संसद के माध्यम से जनता के बीच रखकर सरकार की कोशिश पांच साल के काम के हिसाब देने की थी. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन के दौरान कहा, ‘2014 से पहले देश अनिश्चितता और निराशा के दौर से गुजर रहा था लेकिन नई सरकार ने लोगों में नई उम्मीद और आशा जगाई है.’ इसके बाद सरकार की तरफ से 2014 से लेकर अबतक किए गए हर क्षेत्र के कार्य का जिक्र किया, मसलन, गरीबों के लिए आवास, शौचालय, बिजली, पानी और गरीब महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना के माध्यम से गैस कनेक्शन दिए जाने की बात भी की. सरकार देश भर में लगभग 22 करोड़ उन लाभार्थियों को अपना लक्ष्य बनाकर चल रही है जिन्हें पांच सालों में किसी न किसी योजना का फायदा मिला है. राष्ट्रपति के संबोधन के दौरान भी यही बात दिखी. सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर कालेधन के मुद्दे का जिक्र कर सरकार की तरफ से यह दिखाने का प्रयास ही था कि पांच सालों में देश में किस तरह का बदलाव दिख रहा है. अब बजट पेश होने के दौरान भी कुछ ऐसा ही नजारा होगा, जिसमें चुनावी मैदान में उतरने से पहले सरकार की तरफ से लोकलुभावन वायदों और घोषणाओं का पिटारा खोल दिया जाएगा.
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